आर्कीमिडीज सिद्धान्त
- किसी तरल माध्यम में किसी वस्तु पर लगने वाला उत्प्लावन बल उस वस्तु द्वारा विस्थपित तरल के भार के बराबर होगा। अन्य शब्दो में, किसी तरल माध्यम में आंशिक या पूर्णतः डूबी हुई वस्तु पर लगने वाला उत्प्लावन बल उस वस्तु द्वारा विस्थापित तरल के भार के बराबर होता है।
घनत्व
न्यूटन के गति नियम
- प्रथम नियम: प्रत्येक पिंड तब तक अपनी विरामावस्था अथवा सरल रेखा में एकसमान गति की अवस्था में रहता है जब तक कोई बाह्य बल उसे अन्यथा व्यवहार करने के लिए विवश नहीं करता। इसे जड़त्व का नियम भी कहा जाता है।
- द्वितीय नियम: किसी भी पिंड की संवेग परिवर्तन की दर लगाये गये बल के समानुपाती होती है और उसकी (संवेग परिवर्तन की) दिशा वही होती है जो बल की होती है।
- तृतीय नियम: प्रत्येक क्रिया की सदैव बराबर एवं विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है।
न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का नियम
- F = G m1 m2/d2 --- (1)
प्रकाश की चाल (speed of light)
(जिसे प्राय: c से निरूपित किया जाता है) एक भौतिक नियतांक है। निर्वात में इसका सटीक मान 299,792,458 मीटर प्रति सेकेण्ड है जिसे प्राय: 3 लाख किमी/से. कह दिया जाता है। वस्तुत: सभी विद्युतचुम्बकीय तरंगों (जैसे रेडियो तरंगें, गामा किरणे, प्रकाश आदि) समेत, गुरुत्वीय-सूचना का वेग भी इतना ही है। चाहे प्रेक्षक का 'फ्रेम ऑफ रिफरेंस' कुछ भी हो या प्रकाश-उत्सर्जक स्रोत किसी भी वेग से किधर भी गति कर रहा हो, हर प्रेक्षक को प्रकाश का यही वेग मिलेगा। कोई भी वस्तु, दिक्-काल में प्रकाश के वेग से अधिक वेग पर गति नहीं कर सकती।
प्रकाश के वेग का सटीक मान निकालना एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, क्योंकि यह विद्युत्चुं-चुबकीय घटनाओं का एक अभिन्न अंग है। जितने भी ऊर्जा के संचार के कार्य हैं, उनमें इसका उपयोग होता है। प्रकाश के वेग समय यात्रा में सहायक है। आइंस्टीन के सापेक्षता के विशेष सिद्धांत के अनुसार, यदि प्रकाश की गति की तुलनात्मक चाल पर गमन किया जाता है तो (गमन करने वाले पिंड के लिए) समय किसी स्थिर प्रेक्षक की तुलना में भिन्न हो जायेगा|
21 अक्टूबर 1983, से प्रकाश के वेग का मान मीटर सहित अन्य मापकों को 'कैलिब्रेट' करने के लिये किया जा रहा है। इसका मान निर्वात के विद्युत नियतांक तथा चुम्बकीय नियतांक (परमिएबिलिटी) (परमिटिविटी) से सम्बन्धित है जो निम्नवत है:
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